आई0टी0आई0 वेल्डर के इस Chapter में आज मैं आपको AC Welding Machine (वैल्डिंग मशीन) के बारे में विस्तार से समझाऊंगा। इसके बाद आप यह जान पाएंगे कि AC Welding Machine (वैल्डिंग मशीन) क्या होती है। और कितने प्रकार की होती है। इस Chapter को पढने के बाद आप AC Welding Machine (वैल्डिंग मशीन) के बारे में विस्तार से जान जायेंगे। तो आप इस Chapter को ध्यान पूर्वक step by step पूरा जरूर पढ़े। मुझे आशा है कि इसको पढने के बाद आप बहुत अच्छी तरह से AC Welding Machine (वैल्डिंग मशीन) के बारे बहुत अच्छे से समझ पाएंगे। तो चलिए आगे पढ़ना शुरू करते है।
Unit – 02
Lesson – 07
AC Welding Machine
(AC वैल्डिंग मशीन)
Welding Machine (वैल्डिंग मशीन):–
आर्क वैल्डिंग में ऊष्मा का साधन विद्युत (कम वोल्टेज अधिक एम्पिंयर) है। बिजली की आर्क के लिए सही मात्रा में करेन्ट तथा वोल्टेज सप्लाई करने के लिए जिस मशीन का उपयोग किया जाता है। उसे वैल्डिंग मशीन या Welding set कहते हैं। आर्क उत्पन्न करने के लिए AC तथा DC दोनो प्रकार का करेन्ट उपयोग किया जाता है। करेन्ट के आधार पर इन्हें AC Set या DC Set कहा जाता है।
Necessity:–
Arc Welding Machine की आवश्यकता निम्न लिखित कार्यों के लिए होती है।
(i) Arc Welding के लिए AC तथा DC सप्लाई प्राप्त करने हेतु।
(ii) Arc आरम्भ करने के लिए उच्च वोल्टेज (OCV – Open Circuit Voltage) और Arc बनाये रखने के लिए कम वोल्टेज (AV – Average Voltage) प्राप्त करने के लिए।
(ii) Main supply की AC की उच्च वोल्टेज को कम करने के लिए और करेन्ट को अधिक (AC या DC) करने के लिए।
(iv) आर्क वोल्टेज और वेल्डिंग करेन्ट के बीच सम्बन्ध स्थापित करने के लिए।
(v) वेल्डिंग करते समय आवश्यकतानुसार करेन्ट की मात्रा बदलने तथा नियन्त्रित करने के लिए।
(vi) विभिन्न प्रकार के Dia के Electrode के साथ वैल्डिंग करने के लिए।
(vii) मोटी तथा पतली धातुओ की प्लेटो और लौह तथा अलौह धातुओ को वैल्ड करने के लिए।
Types of Welding Machine (वैल्डिंग मशीन के प्रकार):-
ये दो प्रकार की मशीनें होती है।
(a) AC welding machine
(b) DC welding Machine
(1) Ac Welding machine:–
AC welding machine के अन्तर्गत AC Welding Transformer आते हैं।
(i) AC Welding Transformer:-
यह Step down transformer होता है। यह बिजली की मुख्य सप्लाई 220 से 440 वोल्टेज को घटाकर 40-100 वोल्टेज देता है, और कम एम्पियर को बढ़ाकर अधिक एम्पियर सप्लाई करता है। जो कि वैल्डिंग के लिए आवश्यक होती है। यह कीमत में कम होते है और इनका रख-रखाव भी आसान तथा कार्य कुशलता अधिक होती है। यह सिंगल फेस तथा थ्री फेस दोनों प्रकार के होते हैं।
(a) Oil Cooled Welding Transformer
(b) Air Cooled Welding Transformer
(a) Oil cooled welding transformer :-
जब विददुत Primary coil और Secondary coil से गुजरती हो तो प्रतिरोध उत्पन्न होता है। इस प्रतिरोध के कारण coils गर्म हो जाती है। Primary coil तथा Secondary coil को ठण्डा करने के लिए oil भरा जाता है। Primary coil तथा Secondary coil तेल में डूबी होती है। तेल से ठण्डा होने के कारण इसे Oil cooled welding Transformer कहते हैं।
(b) Air cooled welding transformer:-
लगातार काम करने से विद्युत प्रतिरोध के कारण मशीने गर्म हो जाती हैं। इसमें Primary coil तथा Secondary coil को ठण्डा करने के लिए एक पंखा लगा दिया जाता है, जो हवा से ठण्डा करता रहता है। इसलिए इसे Air cooled welding transformer कहते है। ये oil cooled से वजन में हल्के होते हैं।
Parts (भाग):-
AC wedding Transformer मुख्त: चार भागों मे बटा होता है।
(i) Laminated Iron core:-
यह पहली mild steel की चादर की बनी होती है। इसे एक के ऊपर एक रखकर कुछ स्थानों पर Rivet लगा दिये जाते है। क्योकि Rivet न लगने से पहली प्लेटें अपने स्थान से हट सकती है। इन पतली चादरों के ऊपर Lamination या वार्निश लेप (पालिश) लगी होती है। यह लैप (Ant current) को कम करता है।
(ii) Primary coil:–
यह Laminated Iron core के अतर एक तरफ अधिक संख्या में लिपटे हुए तांबे के तार होते है। उन्हें सीधे main supply से जोड़ा जाता है।
(iii) Secondary coil:-
यह Laminated Iron core के दूसरी ओर अर्थात Primary coil के सामने कम संख्या में लपेटे गये तांबे के तार होते है। यह तार Primary coil में लपेटे गये तारों से कुछ मोटे होते है। Secondary coil का एक सिरा रेगुलेटर तथा दूसरा सिरा कार्य खण्ड से जोड़ा जाता है।
Regulator (Reactor or chock):-
यह M.S. की पतली चादरों से बना होता है। इसके द्वारा हम प्लेट की मोटाई एवं प्रकार के अनुसार current set कर सकते है।
Working principle:–
बिजली के main switch को चालू करते ही विद्युत अधिक वोल्टेज (200-400) तथा कम एम्पियर में Transformer की primary coil में प्रवाहित होता है। जब Primary winding में विद्युत धारा प्रवाहित होती है। तो उसमें चुम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है। इस चुम्बकीय धाराको Secondary winding अपनी ओर आकर्षित करती है। इससे Secondary Winding E.M.F. (electro motive force) उत्पन्न हो जाता है। यह E.M.F. रेगुलेटर में प्रवाहित होता है तथा रेगुलेटर इसे भिन्न-भिन्न मात्रा में करेन्ट सप्लाई करता है।
Primary winding तथा Secondary winding में कोई सम्बन्ध नहीं होता है। इस Transformer में घूमने वाला भाग न लगा होने के कारण secondary winding current को प्रेरित करती है। Transformer में विद्युत परिपथ बारी-बारी से बदलता रहता है। लेकिन यह क्रिया इतनी जल्दी होती है, कि इसे नंगी आखों से नही देखा जा सकता है। क्योंकि इलेक्ट्रॉन की गति 50 cycle / second होती है।
Primary Voltage /primary coil के चक्करों की संख्या = Secondary Voltage /Secondary Coil के चक्करों की संख्या
Advantages :-
AC Welding Transformer के निम्नलिखित लाभ हैं :–
(i) इसकी कीमत कम होती है।
(ii) इनसे वेल्डिंग करते समय आर्क ब्लो का दोष नहीं आता है।
(II) इनके रख-रखाव का खर्च बहुत ही कम होता है।
(iv) यह शोर नही करते हैं।
Disadvantages:–
AC Welding Transformer की हानियाँ निम्न है।
(i) इनके द्वारा Non-ferrous धातुओ की वैल्डिंग नहीं की जा सकती।
(ii) इसमें बिना Flux के इलेक्ट्रोड प्रयोग नहीं किया जा सकते है।
(III) AC को विना सुरक्षा सावधानियों के प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
(IV) Position वैल्डिंग में कठिनाई होती है। इसमें दोनों धुर्वों पर बराबर ऊष्मा उत्पन्न होती है।
(vi) इसमे fine current set नही हो सकता है।
चित्र
Current control (करेन्ट कन्ट्रोल):–
AC वैल्डिंग Set में current की मात्रा निम्न लिखित विधियों से सैट करते हैं।
By plugs (प्लगों द्वारा):-
इस विधि में सैट की वोडी पर कई सॉकिट या वॉल्ट फिट करके इन्हें secondary winding में से Tapings निकाल कर जोड़ा जाता है। इलैक्ट्रोड होल्डर की Lead को Sockets (सर्किटों) में प्लग कर के या अलग-अलग वोल्टों के रूप में Terminals के साथ कस कर सही करेन्ट का चुनाव किया जाता है। इसमें विधि करेन्ट लगातार कम या अधिक नहीं किया जाता है।
By moving iron cores(आयरन कोर चालक):–
इस विधि मे current Primary coil तथा secondary coil के मध्य के अंतर को घटा बड़ा कर कंट्रोल किया जाता है।
Magnetic shunt control (मैग्नेटिक शंट कंट्रोल):-
इस विधि मे एक मैग्नेटिक शंट(Magnetic shunt) secondary winding को वाइपास करती है, का प्रयोग करके करेंट की मात्रा कंट्रोल की जाती है।
Reactor control (रियेक्टर कंट्रोल):-
इस विधि मे एक (variable reactor) वैल्डिंग लोड तथा secondary winding के बीच मे फिट करके करेंट की मात्रा कंट्रोल की जाती है।
Care and maintenance:-
(i) AC Welding Transformer की अर्थिग अच्छी तरह से करनी चाहिए।
(ii) Transformer को चालू करने हेतु आवश्यक निर्देशो का पालन करता चाहिए।
(iii) Transformer set को Air Cooling Label हमेशा ठीक रखना चाहिए।
(iv) कभी भी Transformer set को खुले में नहीं रखना चाहिए।
(v) जब काम ना हो रहा हो तो स्विच बन्द कर दें।
(vi) Welding करते समय current न बदले।
(vii) मशीन को नमी वाले स्थान पर न रखें।
(viii) खुले स्थानों पर व पर कार्य करते समय मशीन को धूप तथा पानी आदि से बचाना चाइए।
(ix) connection loose नही होने चाहिए।
(x) समय-समय पर Transformer के तेल को निकाल कर बदल देना चाहिए।