आई0टी0आई0 वेल्डर के इस Chapter में आज मैं आपको Basic Welding Joints (बेसिक वैल्डिंग ज्वाइंट्स) के बारे में विस्तार से समझाऊंगा। इसके बाद आप यह जान पाएंगे कि Basic Welding Joints (बेसिक वैल्डिंग ज्वाइंट्स) क्या होते है। और कितने प्रकार की होती है। इस Chapter को पढने के बाद आप Basic Welding Joints (बेसिक वैल्डिंग ज्वाइंट्स) के बारे में विस्तार से जान जायेंगे। तो आप इस Chapter को ध्यान पूर्वक step by step पूरा जरूर पढ़े। मुझे आशा है कि इसको पढने के बाद आप बहुत अच्छी तरह से Basic Welding Joints (बेसिक वैल्डिंग ज्वाइंट्स) के बारे बहुत अच्छे से समझ पाएंगे। तो चलिए आगे पढ़ना शुरू करते है।
Unit – 02
Lesson – 3
Basic welding joints
(बेसिक वैल्डिंग ज्वाइंट्स)
Basic welding joints (बेसिक वैल्डिंग ज्वाइंट्स):-
ये निम्नलिखित प्रकार के होते है।
(1) Butt joint (बट ज्वॉइन्ट)
(2) Lap joint (लैप ज्वाइन्ट)
(3) ‘T’ joint (‘टी’ ज्वाइन्ट)
(4) Corner joint (कॉर्नर ज्वॉइन्ट)
(5) Edge joint (एज ज्वाइंट)
(1) Butt joint (बट ज्वाइंट):–
यह जोड़ दो प्लाटों को आमने सामने सीधा रख कर एक ही तल मे रख कर लगाया जाता है। इसमें आवश्यकतानुसार रूट गेप रखा भी जाता है तथा न भी रखा जाता है। इसमे 03 mm मोटी प्लेट के किनारे तिरछे नही करने पड़ते है।
(i) Types of butt joint (बट ज्वाइन्ट के प्रकार):– बट ज्वॉइन्ट कई प्रकार के होते है।
(a) Square butt joint (स्क्वायर बट ज्वाइन्ट):-
इस में जुड़ने वाली प्लेटों के किनारे चोकोर होते है। इस जोड़ को बनाने में कम खर्च आता है, क्योंकि इसके किनारे बनाने में ज्यादा देर नहीं लगती 03 mm मोटी प्लेट के लिए क्लोज्ड बट ज्वाइंट (Closed butt joint) तथा 05 mm तक मोटी प्लेट के लिए ओपन बट ज्वाइंट (Open butt joint) लगाते है।
(b) Single ‘V’ butt joint (सिंगल ‘वी‘ बट ज्वाइन्ट):–
इसका प्रयोग 6-12 mm से अधिक मोटी प्लेटों के लिए किया जाता है। तथा V ग्रूव कोण 60°-70° रखा जाता है।
(c) Double ‘V’ butt joint (डबल ‘V’ बट ज्वाइंट):–
इसका प्रयोग 12 mm से अधिक मोटी प्लाटों के लिए किया जाता है। यह जोड़ सिंगल बट ज्वॉइन्ट की अपेक्षा अधिक मजबूत होता है। इसमें डिसटोरशन (Distortion) कम आता है। क्योंकि दोनों ओर हीट इनपुट (Input) बराबर होती है। इसमें किनारे बनाने में अधिक खर्च आता है ये दो प्रकार के हो सकते है।
(a) नुकीले किनारे वाले
(a) रूट फ़ेस वाले
(d) Single or double ‘U’ butt joint (सिंगल‘ और ड्बल “U” बट ज्वाइंट):–
इसका प्रयोग 15-20 mm मोटी प्लेटों के लिए किया जाता है। सिंगल ‘U’ का प्रयोग वहाँ किया जाता है। जहां पर पहुंच केवल एक ही तरफ मे हों, और डबल ‘U’ का प्रयोग करने से डिस्टॉरशन की संभावना कम हो जाती है। क्योंकि इनमें भी ताप इनपुट दोनो तरफ बराबर होते है। ये जोड़ कम प्रयोग किए जाते है क्योकि ये बनाने काफी ख़र्चीले होते है।
(e) Single ‘J’ and double ‘J’ butt joint (सिंगल ‘J’ओर डबल ‘J’ बट ज्वाइंट):–
यह अधिक मोटी प्लाटों के ऊपर बनाए जाते है। इसमे इलेक्ट्रोड, बिजली, लेवर खर्च अधिक लगता है इसलिए यह जोड़ बनाने काफी महंगे साबित होते है।
(f) Single bevel butt joint (सिंगल वेवल बट ज्वाइंट):–
इसका प्रयोग दोनों प्लेटों को समकोण में जोडने के लिए किया जाता है। इसे एक प्लेट के किनारे को 45° पर ग्राइण्ड करके दूसरी प्लेट के साथ जोड़ देते है।
(g) Double bevel butt joint (डबल वेवल बट ज्वाइंट):–
इसमें प्लेट के दोनों किनारों को 45° के कोण पर ग्राइण्ड कर दिया जाता है। और दूसरी प्लेट के किनारे नहीं बनाते। इसका प्रयोग 12 mm से अधिक मोटी की प्लेटों के लिए करते हैं।
(2)- Lap joint (लैप ज्वाइन्ट):-
इसमें दोनों प्लेटों को एक-दूसरे के ऊपर चढ़ाकर (ओवरलैप) कर के जोड़ दिया जाता है। यह जोड़ जल्दी बनता है क्योंकी इसमें किनारे नही बनाने पड़ते है। यह बट जोड़ की अपेक्षा कम मजबूत होता है, यह जोड़ बनाते समय दोनों प्लेटों के बीच में गैप नही होना चाहिए तथा दोनो प्लेटें आधी एक दूसरे के ऊपर चड़ी होनी चाहिए।
(3) ‘T’ joint (टी ज्वाइंट):–
इस जोड़ को बनाने के लिए एक प्लेट को क्षैतिज स्थिति में रखकर दूसरी प्लेट को पहली प्लेट के बीच में 90 डिग्री के कोण पर खड़ी स्थिति मे रखकर वैल्ड करते है। जब हम इसे एक तरफ से वैडिंग करते हो तो यह सिंगल फिलिट ‘टी‘ ज्वाइन्ट (Single fillet ‘T’ joint) और जब इसे दोनों तरफ से वेल्ड करते हैं। तो यह डबल फिलिट ‘टी ‘ ज्वाइंट (Double fillet ‘T’ joint) कहलाता है।
यह निम्न प्रकार के होते है।
(a) Single bevel fillet ‘T’ joint (सिंगल वेबल फिलिट ‘टी‘ ज्वाइन्ट)
(b) Double bevel fillet ‘T’ joint (डबल वेवल फिलिट ‘टी‘ ज्वाइन्ट)
(c) Single ‘J’ fillet T joint (डबल ‘J’ फिलिट ‘टी‘ ज्वाइन्ट)
(d) Double ‘J’ fillet T joint (डबल ‘J’ फिलिट ‘टी‘ ज्वाइन्ट)
(a,b)- Single and double bevel fillet ‘T’ joint (सिंगल ओर डबल वेवेल फिलिट ‘टी’ ज्वाइंट):–
इसमें 12 mm तक मोटी प्लेट के लिए खड़ी प्लेट के एक सिरे को 60° के कोण पर बनाकर वेल्ड किया जाता है। तथा दोनों तरफ 60° का कोण बनाकर वेल्ड किया जाता है। एक तरफ वेवेल (Bevel) बनाते है, तो सिंगल वेवेल तथा दोनों तरफ वेवेल बनाते है तो डबल वेवेल फिलिट ‘T’ ज्वाइंट बनता है।
नोट:– इसमें 10 mm तक मोटी प्लेटो के किनारे नहीं बनाये जाते है।
(c,d)- Single J and double J fillet T joint (सिंगल ‘J’ ओर डबल ‘J’ फिलिट ‘ट’ ज्वाइंट):–
यह जोड़ 20 mm की मोटी प्लेटों के लिए खड़ी प्लेट के लिए एक तरफ या दोनों तरफ ‘J’ ग्रूव बनाकर वेल्ड किया जाता है। जब एक तरफ ‘J’ ग्रूव बनाकर वेल्ड करते है तो सिंगल ‘J’ फिलिट ‘T’ ज्वाइंट और जब दोनो तरफ ‘J’ बनाकर वेल्ड करते हें तो डबल ‘J’ फिलिट ‘T’ ज्वाइंट कहलाता है।
(4) Corner joint (कॉर्नर ज्वाइन्ट):–
यह ज्वॉइन्ट पतली तथा मोटी प्लेटों दोनो में ही बनाया जाता है। इसमें एक प्लेट के कोने को दूसरी प्लेट के कोने से मिलाकर वेल्डिंग कर दी जाती है। दोनों प्लेटों के कोने के बीच 90° का कोण बनता है। अगर बाहर से वेल्डिंग की जाती हो तो Outside corner joint बनता है अगर भीतर की तरफ से वेल्डिंग की जाती हे। तो Inside corner joint बनता है।
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(5) Edge joint ऐज ज्वाइंट):–
इस ज्वाइंट को पतली चादरों में लगाया जाता है। इसमें दोनों शीटों के सिरों को थोड़ा सा 90° पर मोड़ कर तथा मुड़े हुए किनारों को आपस में मिलाकर जोड़ा जाता है। इसके लिए फिलर मेटल का प्रयोग नहीं किया जाता। यह दोनों किनारों को ही आपस में पिघलाकर जोड़ दिया जाता है। जैसे- डीजल, पेट्रोल की टंकिया आदि में यही जोड़ लगता है। फिलर मेटल का प्रयोग अगर होता है तो कम ही होता है।
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