आई0टी0आई0 वेल्डर के इस Chapter में आज मैं आपको DC Welding Machine ((DC वेल्डिंग मशीन ) के बारे में विस्तार से समझाऊंगा। इसके बाद आप यह जान पाएंगे कि DC Welding Machine ((DC वेल्डिंग मशीन ) क्या होती / होते है / होता है।। और कितने प्रकार की होती है। इस Chapter को पढने के बाद आप DC Welding Machine ((DC वेल्डिंग मशीन ) के बारे में विस्तार से जान जायेंगे। तो आप इस Chapter को ध्यान पूर्वक step by step पूरा जरूर पढ़े। मुझे आशा है कि इसको पढने के बाद आप बहुत अच्छी तरह से DC Welding Machine ((DC वेल्डिंग मशीन ) के बारे बहुत अच्छे से समझ पाएंगे। तो चलिए आगे पढ़ना शुरू करते है।
Unit – 02
Lesson – 08
DC Welding Machine
(DC वेल्डिंग मशीन )
DC Welding Machine:–
DC Welding Machine के अन्तर्गत निम्नलिखित मशीनें आती हैं।
(i) welding Generator set
(ii) Welding Rectifiers set
(i) Welding Generator set
(a) Motor Generator set:-
इस सैट में AC सेचलने वाली एक motor लगी होती है। जो DC Generator को घुमाती है। इसमें Motor तथा DC Generator एक ही शॉफ्ट में फिट होते हैं। इन सेटों में Arc Voltage 15 से 45 बोल्ट होती है। तथा Open circuit Voltage (OCV) लगभग 60 -100 Volts के मध्य रखी जाती है जिससे आर्क बनाने में आसानी रहती है यह 20 amp से 1000 amp तक करेन्ट देने की क्षमता रखते है।
Parts of Control Panel Motor Generator set (मोटर जनरेटर सैट के कन्ट्रोल पैनल के भाग) :–
(1) Starter (स्टार्टर):-
इसका उपयोग मोटर को चलाने के लिए किया जाता है। इसमें दो रंग के बटन होते है हरा बटन motor चलानेके लिए तथा Red बटन बन्द करने के लिए दबाते है।
(2) Polarity Switch):-
इससे electrode की तथा work piece की Polarity का चुनाव किया जाता है polarity दो प्रकार की होती है।
(i) Straight Polarity:-
Straight Polarity में electrode holder –ve तथा earth clamp +ve रखा जाता है इसमें current job से electrode की तरफ बहता है।
(ii) Reverse Polarity:-
Reverse Polarity में electrode holder +ve तथा earth clamp -ve रखा जाता है इसमे Current Job की ओर बहता है।
(iii) Volt Ampere meter:-
यह मीटर करेन्ट की मात्रा Volt तथा ampere में बताता है।
(iv) Current control:-
इन मशीनों में current की मात्रा तीन तरीकों से Control की जाती है।
(i) single control
(ii) Double control with fixed current steps
(iii) Double step Less Control
(4) Engine Generator set:-
इस सेट में motor की बजाए एक पैट्रोल या डीजल इंजन लगा होता है। जो DC generator को घुमाता हैं। इसलिए इसे Engine Generator set कहते है, यह सैट जहाँ पर AC की Supply नही होती वहा पर प्रयोग किये जाते है यह बहुत महंगें होते है। इन्हें चलाने में खर्च भी बहुत आता है यह चलते समय शोर करते है।
Principle DC Generator:-
इसमें गोल सिलिण्डर पर coil लपेटकर इन्हें दो चुम्बकों में (जो चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करती है) घुमाया जाता है।गोल सिलिण्डर के आस-पास लिपटी हुई तारे जो चुम्बकीय क्षेत्र को काटती है तो इनमें एक E.M.F. (electromotive force (विद्युत वाहक बल) पैदा हो जाता है। E.M.F कम्यूटेटर (commutator) या slip रिंगों की सहायता से बाहरी सर्किट पर पहुंचा दिया जाता कम्यूटेटर ताम्वे की छड़ों या segment का बना होता है। इसकी छड़े एक दूसरे से अभ्रक (माइका) की पतली तह द्वारा Insulated (current coated) होती है। यह सिलिण्डर या आर्मेचर की शॉफ्ट पर फिट किया जाता है।
आर्मेचर की स्वायल की गरीको commutator के segments से टांका लगाकर जोड़ दिया जाता है। commutator या slip रिंगों से कार्बन के बुश spring की सहायता से फिट किये जाते हैं। carbon Brush commutator या slip रिंगों से current लेकर बाहरी सर्किट में भेजते है यदि slip रिंगों का उपयोग किया जाए तो बाहरी सर्किट को AC मिलती है। तथा कम्यूटेटर का उपयोग किया जाए तो AC को DC मे बदल कर बाहरी सर्किट में भेजता है। जब कोई coil चुम्बकीय क्षेत्र में घूमती है। उसमें आरम्भिक रूप से AC ही पैदा होती है।
Parts of DC Welding Generator :-
(i) Field coil:–
यह coil generator की body यां yoke के साथ जुड़ी होती है। और Magnetic line of force उत्पन्न करती है इसे main Pole कहते है।
(ii) Body or Yoke:-
यह generator की body होती है जो सभी पार्टी कोढक कर रखती है यह बिजली पैदा करने के लिए magnetic circle को पूराकरती है।
(iii) Generator commutator:-
यह तांबे के बने होते हैं। यह आरमेचर के साथ शाफ्ट पर ऊपर लगे होते हैं। और आर्मेचर कण्डक्टर के साथ जुड़े रहते हैं।
(IV) Armature:-
यह एक Laminated steel का ड्रम है, जिसकी बोड़ी में लम्बाई में slot कटे होते है। इसमें तांबे के कण्डक्टर लगे होते है। यह शॉफ्ट के ऊपर फिट होता है।
(v) Fan:–
यह केवल जनरेटर को ठण्डा रखने के लिए प्रयोग किया जाता है।
(vi) Carbon Brush:-
यह जनरेटर की बोडी में लगे होते है। और घूमते हुए Commutator के साथ सम्पर्क में होते है। तथा output terminal के साथ जुड़े रहते है।
(vii) Prime mover:-
जनरेटर के Armature को घुमाने के लिए जिस साधन का प्रयोग करते है। उसे prime mover कहते है जैसे- motor या engine
Care & maintenance of Motor Generator set:-
मोटर जनरेटर की देख भाल के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाइए।
(i) सभी घूमने वाले पार्टों को ढ़ककर रखना चाहिए।
(ii) कभी भी हवा वाली पाइप (Ventilation Ducts) को ढकना नहीं चाहिए।
(iii) जनरेटर के अन्दर की धूल-मिट्टी (Dust) आदि को कम्प्रेस्ड एयर द्वारा तीन – तीन महिने बाद साफ कर देना चाहिए।
(iv) Carbon Brush के contact Point को check करते रहना चाहिए ताकि उनमें Sparking ना हो।
(v) जनरेटर की Bearing को हर छ: माहिने के बाद ग्रीस लगानी चाहिए।
(vi) कभी भी polarity switch को Arcing (आर्किंग) के दौरान नहीं खोलना चाहिए। बिजली कनेक्शन को चैक करते रहना चाहिए।
(vii) बिजली की मोटर की अर्थिग सही होनी चाहिए।
(viii) यदि एक फेस बिजली की न आ रहा हो तो मोटर नही चलानी चाहिए।
(ix) यह देखते रहे की Cooling Fan सही काम कर रहा है या नहीं।
Care & maintenance of Engine Generator Set:-
Engine Generator Set की देखभाल के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
(i) पैट्रोल या डीजल पाइप युनियन की लीकेज रोजाना चैक करनी चाहिए।
(ii) fan belt टाइट करके रखनी चाहिए।
(iii) पंखे के Bearing को सप्ताह में एक बार ग्रीस करना चाहिए।
(IV) 250 घण्टे चलने के बाद engine oil को बदल लेना चाहिए।
(v) Radiator के पानी का स्तर प्रति दिन चैक करना चाहिए।
Advantages of DC Generator set:-
(i) इसके द्वारा polarity का चुनाव किया जा सकता है।
(ii) इसके द्वारा ferrous तथा Non-Ferrous दोनो धातुओं की वैल्डिंग की जा सकती है।
(iii) इसमें job के अनुसार करेन्ट की बटवारा किया जा सकता हैं।
(iv) इसकी OCV कम होने के कारण बिजली का शॉक लगने का खतरा कम होता है।
(v) Arc Voltage कम होने के कारण Molten Peal का आकार छोटा होता है। Remote control के द्वारा current set कर सकते है।
(Vi) Polarity की सुविधा होने के कारण इससे मोटी तथा पतली प्लेटों की वेल्डिंग आसानी से कर सकते है।
Dis-advantages of DC Generator:-
(i) इसमें काफी शोर होता है।
(ii) इसकी कीमत अधिक होती है।
(iii)) वैल्डिंग में Arc Blow नाम का दोष आता है।
(Iv) इसमें बिजली तथा डीजल पेट्रोल का खर्च अधिक होता है।
(v) यह कार्य स्थल में अधिक जगह घेरते है।
(ii) Welding Rectifier set:-
Introduction:-
Rectifier भी एक प्रकार की वेल्डिंग मशीन है यह AC Supply को DC Supply में बदलता है। उसमें रेक्टीफाइंग युनिट लगा होता है, जो AC को DC में बदलता है।
AC / DC Welding Rectifier:-
इस प्रकार की मशीन को AC / DC Welding set भी कहते है। इसमें एक ट्रानसफॉर्मर होता है। जो वोल्टेज को कम करके करेन्ट को बढ़ाता है। इसमें welding current Rectifier Cell होता है। जिसमें Cooling Fan लगा होता है। Rectifier cell मे एक सहायक प्लेट स्टील या एल्युमीनियम की होती हैं। इस प्लेट के ऊपर निकिल या विस्मिथ की पहली परत चढाई जाती है, और इसके उपर सेलिनियम तथा सिलिकोन की स्प्रे होती है। और अन्त में कैडमियम (cadmium), विस्मिथ व टिन की पहली परत चढाई होती है।
सहायक प्लेट के ऊपर निकिल व विस्मिथ की परत रेक्टीफाइंग सैल के Electrode anode का काम करता है। तथा कैडमियम, विस्मिथवटिन की परंतु रेक्टीफाइंग सैल के दूसरे electrode cathode का काम करता है। इसमें रेक्टीफाइंग Non Return Valve की तरह काम करती है। यह एक तरफ बहुत थोड़ा राजस्टैन्स और दूसरी ओर अधिक रजिस्टैस फ्लों करता है। तथा करेन्ट एक ही दिशा में फ्लो करता है।
Working Principle:-
Step down Transformer of out but Rectifier set (Unit) के जुड़े होते है। यह AC को DC में बदलते है DC output Positive तथा Negative Terminal के साथ जुड़ी होती है यहाँ से इसे Welding के लिए ले जाते है, यह इस प्रकार डिजाइन मिले होते ही कि इनमें इनसे AC और DC switch Welding बदलने परकी जा सकती है। अर्थात दोनो प्रकार की Welding की जा सकती है।
Care & maintenance:-
(i) सभी बिजली के कनेक्शन अच्छी तरह टाइट रखने चाहिए।
(ii) Rectifier की प्लेट हमेशा साफ रखनी चाहिए।
(iii) पंखे की शॉफ्ट को तीन महिने बाद ग्रीस लगानी चाहिए।
(iv) कभी भी मशीन को बिना पंखे के नही चलाना चाहिए।
(v) वैडिंग अर्क शुरू करने के बाद करेन्ट को Adjust नही करती चाहिए। अर्थात AC/DC Switch operate नही करना चाहिए।
(vi) Welding Rectifier set को महिने में एक बार चैक व साफ करना चाहिए।
(VII) Air Ventilation System को हमेशा सही Position में रखना चाहिए।
चित्र
Advantages:–
(i) वोल्टज ड्राफ्टिंग बहुत काम होती है।
(ii) इससे लौह-अलौह धातुओं की वैल्डिंग कर सकते है।
(iii) इसकी कीमत मोटर जनरेटर सेंट से कम है।
(iv) इसमें लगाए गये electrode प्रयोग कर सकते है उसको रख-रखाव, “का खर्च बहुत कम कम है। इसका प्रयोग पोजीशन वेल्डिंग मे कर सकते है।
Dis-advantages:-
(1) Output Terminal में’ current बराबर नही रहता है।
(2) इसमें आर्क फ्लो होता है तथा नहीं भी होता है।
Compression of Arc Welding Set:-
S. n. | Motor Generator set | Transformer set | Rectifier set |
1 | आरम्भिक कीमत –यह सैट बहुत महँगे होते है इन्हें खरीदने के लिए काफी पैसे खर्च करना पड़ता है। | यह सैट ससते होते है इन्हें खरीदने का खर्च कम है। | यह ट्रांसफॉर्मर सेट से भार मोटर जनरेटर सेट से सस्ते होते है। |
2 | भार – इनका भार काफी होता है। | यह हल्के होते है। | ट्रांसफॉर्मर से भारीमोटर जनरेटर सेट से हल्के होते है। |
3 | स्थान – उनके लिए काफी स्थान की आवश्यकता होती है। | यह थोडे स्थान में ही लगाये जा सकते है। | इन्हें अधिक स्थान की आवश्यकता नही होती। |
4 | घूमने वाले भाग – इनमें घूमने वाले भाग होते है। | इनमें घूमने वाले भाग नहीं होते। | इनमें घूमने वाले भाग नहीं होते। |
5 | रख–रखाव – इनका रख-रखाव के लिए काफी ध्यान देना पड़ता तथा यह काफी खर्चीले होते है। | इनका रख-रखाव घूमने वाले भाग न होने के कारण बहुत आसान होता है। | इनका भी रख-रखाव घूमने वाले भाग न होने के कारण बहुत आसान होता है।
|
6 | Power Input-इन्हें चलाने के लिए के लिए अधिक शक्ति खर्च करनी पड़ती है। | इन्हें चलाने के लिएके लिए कम शक्ति खर्च करनी होती है। | इन्हें चलाने के लिए भी कम शक्ति खर्च करनी होती है। |
7 | कार्य कुशलता -इनकी कार्यके लगभग कुशलता 60% होती है। | इनकी कार्यके लगभग कुशलता 84% होती है। | इनकी कार्यके लगभग कुशलता 67% होती है। |
8 | ताप – इन सेटो में ताप दोनो ध्रुवों पर अलग – अलग होती है +ve ध्रुव पर 2/3 तथा – ve ध्रुव पर 1/3 ताप होता है। | इसमे दोनों ध्रुवो पर ताप बराबर होता है। | इसमे ताप की मात्रा दोनों प्रकार की हो सकती है। |
9 | Arc Blow – इन सेटों में यह समस्या आती है। | इनमें यह समस्या नही आती है। | A-C. current के प्रयोग में यह समस्या नही आती है D.c. current के प्रयोग में यह समस्या आती है। |
10 | आर्क की स्थिरता – इसमे आर्क स्थिर होती है| | इसमे आर्क स्थिर रखनी मुश्किल होती है। | इसमे आर्क स्थिर होती है। |
11 | Electrode– इसमें हर प्रकार के electrode उपयोग किये जा सकते है। | इसमें हर प्रकार के electrode उपयोग नहीं किये जा सकते है | | इसमें हर प्रकार के electrode उपयोग किये जा सकते है| |
12 | धातुएं – इनसे ferrous तथा non ferrous दोनों धातुओ को जोड़ा जा सकता है। | इसमे सिर्फ ferrous metal की वैल्डिंग की जा सकती है। | इसमे सभी प्रकार की धातुओ की वैल्डिंग की जा सकती है। |
13 | आयु -इनके काम के उपयोग का समय काफी अच्छा होता है। | इनका सबसे अधिक सामी के लिए उपयोग किया जा सकता है। | रेक्टीफायर मे उपयोग किए जाने वाली सेल्वियम की प्लेटों की आयु लगभग 7 वर्ष होती है। |
14 | शोर – यह सेट बहुत आवाज़ करते है। | यह सेट आवाज़ नहीं करते है। | यह सेट भी आवाज़ नहीं करते है। |