आई0टी0आई0 वेल्डर के इस Chapter में आज मैं आपको Principle of Arc (आर्क का सिद्धान्थ) के बारे में विस्तार से समझाऊंगा। इसके बाद आप यह जान पाएंगे कि Principle of Arc (आर्क का सिद्धान्थ) क्या होता है। इस Chapter को पढने के बाद आप Principle of Arc (आर्क का सिद्धान्थ) के बारे में विस्तार से जान जायेंगे। तो आप इस Chapter को ध्यान पूर्वक step by step पूरा जरूर पढ़े। मुझे आशा है कि इसको पढने के बाद आप बहुत अच्छी तरह से Principle of Arc (आर्क का सिद्धान्थ) के बारे बहुत अच्छे से समझ पाएंगे। तो चलिए आगे पढ़ना शुरू करते है।
Unit – 02
Lesson – 06
PRINCIPLE OF ARC
(आर्क का सिद्धान्थ)
Definition :-
जब वेल्डिंग मशीन के आउटपुट टर्मिनल (Output Terminal) से एक तरफ Electrode तथा दूसरी तरफ Earth clamp से job को जोड़ा जाता है। फिर मशीन को चालू किया जाता है, और Electrode को जोव को छूकर के थोड़ा सा ऊपर उठा लेते हैं। तो Electrode और Job के बीच मे गैप Gap) बन जाता है। Electrode तथा job के बीच गैप की हवा गर्म हो जाती है। जिससे इलेक्ट्रोनों का प्रवाह शुरू हो जाता है। और आर्क लगाकर बनी रहती है।
Effect of Electricity (बिजली का प्रभाव) :–
जब किसी चालक को विद्दुत्त दी जाती है, तो वह उस पर प्रभाव डालती है।
(i) Heating Effect (ऊष्मा का प्रभाव): –
जब किसी चालक मे विद्धुत प्रवाहित की जाती है। तो चालक का प्रतिरोध विद्धुत के प्रवाह को रोकता है। जिससे उसमे Friction (घर्षण) उत्पन्न हो जाता है। और ऊष्मा उत्तपन्न होती है।
(ii) Magnetic Effect (चुम्बकीय प्रभाव):-
जब विद्दूत धारा किसी चालक मे होकर गुजारी जाती है, तो उसके आस पास एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। बिजली की इस विशेषता के कारण बिजली की मोटर, जनरेटर, आदि बनाए जाते हैं। ट्रांसफार्मर भी इसी प्रभाव के कारण बनाए जाते हैं।
(iii) Chemical Effect (रासायनिक प्रभाव):–
बिजली के इस गुण के कारण तोडा तथा अलग किया जाता है। जैसे पानी को हाइड्रोजन तथा ऑक्सीज़न मे अलग करना। इसी गुण के कारण Electro plating भी की जाती है। जैसे – निकिल, ज़िंक, कॉपर तथा क्रोमियम आदि की परत चढ़ाना।
(iv) Emission of Electron (इलैक्ट्रॉन का निकास):-
बिजली के इस गुण के कारण ट्यूब, रेडियो तथा टेलीविज़न की ट्यूब तथा x-ray (एक्सरे) की ट्यूब काम करती है।
(v) Contraction of muscles (माँसपेशियों का सिकुडना):–
बिजली का यह प्रभाव दिल की धड़कन रोक कर मौत का कारण बन सकता है। उचित मात्रा में बिजली के झटके देकर कई प्रकार की बीमारियों का इलाज़ भी किया जाता है।
(Vi) Control of ARC ( आर्क का नियंत्रण ):–
Electrode को Electrode Holder से तथा जॉब को Earth clamp से जोड़ कर मशीन को चालू करते हैं। जेसे ही Electrode को जॉब से स्पर्श करते हैं, तो Electric circuit (विद्धुयत परिपथ) पूरा होकर विददुयत Electrode से जॉब पर प्रवाहित होती है। और ऊष्मा उत्तपन्न होती है। अब Electrode की टिप तथा जॉब के बीच के गैप मे आर्क बन जाती है, तथा वैल्डिंग प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
बनी आर्क को वैल्डर द्वारा Control किया जाता है। इसके लिए Electrode को न तो Job से टच करना चाहिए, और न ही Job से अधिक ऊपर उठाना चाहिए। अधिकतर Down Hand Position में Electrode की Core wire के व्यास (Dia) के बराबर ही electrode को Job से ऊपर रखना चाहिए। Overhead Position, Vertical Position तथा Horizontal Position मे कभी – कभी Electrode के व्यास (Dia) से थोड़ा सा कम भी रखते हैं। आर्क का तापमान 3600°C से 4000°C होता है।